हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है कब है तुलसी विवाह और जाने पूजा विधि विधान ।
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हिंदू धर्म में कार्तिक माह में शुक्ल पक्ष की एकादशी को भगवान विष्णु चार महीने की निद्रा के बाद जागते हैं, उनके जागने के बाद ही सभी तरह के शुभ और मांगलिक कार्य फिर से शुरू होते हैं। इसके साथ ही हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को ही तुलसी और शालिग्राम जी का विवाह किया जाता है।
तुलसी विवाह 2023 कब है ?
इस दिन पढ़ने वाली एकादशी को देवउठनी एकादशी के नाम से भी पुकारा जाता है और इस दिन तुलसी विवाह किया जाता है। इसलिए 23 नवंबर को ही तुलसी विवाह मनाया जाएगा। इसी दिन माता तुलसी का विवाह किया जाएगा।
तुलसी विवाह 2023 मुहूर्त
कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 22 नवंबर को रात 11.03 बजे से शुरू हो रही है। इसका समापन 23 नवंबर की रात 09.01 बजे होगा।

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तुलसी विवाह की पूजा विधि
1. सबसे पहले लकड़ी की एक साफ चौकी पर आसन बिछाएं।
2. दूसरी चौकी उस पर शालिग्राम को स्थापित करें।
3. कलश में जल भरकर रखें और उसमें सात आम के पत्ते लगाकर पूजा स्थल पर स्थापित करें।
4. शालिग्राम व तुलसी के समक्ष घी का दीपक
5. प्रज्वलित करें ।
6. रोली या कुमकुम से तिलक भी करे ।
7. तुलसी माता पर लाल रंग की चुनरी चढ़ाएं, चूड़ी,बिंदी आदि चीजों से तुलसी का श्रृंगार करें।
8. इसके बाद चौकी समेत शालिग्राम को हाथों में लेकर तुलसी की सात परिक्रमा कराएं।
9. पूजा संपन्न होने के बाद तुलसी व शालिग्राम की आरती करें और साथ ही प्रसाद सभी में वितरित करें।
तुलसी विवाह का महत्व
हिंदू धर्म में तुलसी विवाह का बहुत महत्व है कि तुलसी विवाह करने से कन्यादान के समान फल की प्राप्ति होती है, इसलिए यदि किसी व्यक्ति की कन्या न हो तो उसे तुलसी विवाह करके कन्या दान का पुण्य कमाना चाहिए। जो व्यक्ति विधि-विधान के साथ तुलसी विवाह संपन्न करता है उसके मोक्ष प्राप्ति के द्वार खुल जाते हैं। साथ ही तुलसी और भगवान शालिग्राम का विधिवत पूजन करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
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